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देश कय अवस्था एकदम दयनीय होइगय
कल कय गुन्डा जब से मननीय होइगय

पढाल लिखल देखो सब भैँस चरवय
अव बिन पढ़ा सब कै सम्मनीय होइगय
जीवन भर अपराध किहिस जउन
आज उहय सबसे पुजनीय होइगय

गवाँ-गवाँ से जिता लेकिन
सहर कै एकदम सरहनीय होइगय
वादा कै कय गय जनता से
अव चोरन कै गोपिनिय होइगय |

7 thoughts on “मननीय (अवधी)”

  1. परजा तन्तर
    आपकी बात सत्य हवल
    पढल लिखल भैंस चढत
    गँवार मूरख कार चढत
    भैंस चरत सांसद हवल
    विन पढे पण्डित हवल
    परजा तन्तर यहिये कहल

    1. हाहा, अलिअलि बुझियो !
      हाहा, अलिअलि बुझियो !

  2. भाइ अजयको विश्लेषण शत प्रतिशत
    भाइ अजयको विश्लेषण शत प्रतिशत सही छ । उहांलांई बधाई छ । यो त्यसैको पूरक हो ।

  3. सब लोगन कय धन्यवाद । सबैलाई
    सब लोगन कय धन्यवाद । सबैलाई धन्यवाद जय नेपाल ।

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