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अपाङगलोग के याद मे डिसेम्वर ३ तारिखके अन्र्तराष्ट्रिय दिवस मनावल जाला । राष्ट्रिय मानव अधिकार आयोगके अपाङगतासम्बन्धी विषयगत पुस्तिका २०६९ अनुसार नेपालके कुल जनसङ्ख्याके ७ से १० प्रतिशत आदमी कवनो ना कवनो किसिमके अपाङगता भइल अनुमान बा । ओहितरे राष्ट्रिय जनगणना २०६८ अनुसार नेपालमे अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके सङ्ख्या लगभग साढे पाँच लाख अर्थात १.९४५ प्रतिशत मिलल बा जउन बात सम्बन्धीतलोग के तथ्यांक अनुसार ३४–३५ लाख होखेके चाहि ।

विश्व स्वास्थ्य सड्डठन आ विश्व बै ङकके अनुसार विश्वके कुल जनसख्याके १५५ हिस्सा रहल तथ्यसे नेपालके जनगणनामे आइल अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके तथ्याड्ढके सिधे अस्वीकार करता । प्राकृतिक रूपमे, दुर्घटना, प्रकोप, हिंसा, द्वन्द्व या कवनो महामारी तथा दीर्घ कालीन रोगजइसन विभिन्न कारणसे कइसनो समयमे कवनो वर्गके व्यक्तिलोगके मानव अधिकारके उचित संरक्षण आ सम्वद्र्धन होखे नइखे सकल । ओहितरे नेपालमे अपाङगता भइलाके कारणसे राज्यसे प्राप्त होखेवाला सेवा आ सुविधोमे विभेद आ न्यायके सहज पहुचसे समेत वञ्चित करल गइल बा । एहतरे अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके अधिकार उपयोग करेसे वञ्चित कइल हि मानव अधिकार उल्लङ्घन ह ।

नेपाल अपाङगता भइल व्यक्तिके अधिकार सम्बन्धी महासन्धि (CRPd) एवं स्वैच्छिक अनुबन्ध २००६ के २०६६ साल पुस १२ से पक्षराष्ट्र भइल बा । उ महासन्धि अनुसार अपाङगता भइल व्यक्ति कहलासे शारीरिक, मानसिक, वौद्धिक या इन्द्रीयसम्बन्धी दीर्घकालीन अशक्तद्वारा सृजित विभिन्न अवरोधके अन्तक्रियाके कारण समाजमे अन्य व्यक्तिसरह समान आधार मे पूर्ण आ प्रभावकारी ढड्डसे सहभागी होखेमे बाधा भइल व्यक्ति समेतके परिभाषा कइले बा । ओहितरे अपाङग संरक्षण तथा कल्याण ऐन २०३९ मे अपाङग कहलासे सामान्य दैनिक दिनचर्या करमे शारीरिक या मानसिक तवरसे असमर्थ या असक्षम भइल नेपाली नागरिकके सम्झेके परि कहल बा । सयुक्त राष्ट्रसङ्घके आह्वाहनमे हरेक वर्ष डिसेम्बर ३ तारिखके दिन ई दिवस मनावज जाला ।

सन् १९८२ डिसेम्बर ३ तारिखके दिन सयुक्त राष्ट्रसङ्घ अपाङगतासम्बन्धी विश्व कार्य योजना जारी कइले रहे ओकरे यादमे १९९२ से डिसेम्बर ३ तारिखके अन्तर्राष्ट्रिय अपाङग दिवसके रूपमे मनावत अइलाके बावजुद कुछ साल हेने ई दिवसके अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके अन्तर्राष्ट्रिय दिवसके रूपमे मनावल जाता । हमनी एक्काई सौं शताब्दीमे प्रवेश कइलाके बावजुद हमनीके समाज अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके दोसर दर्जा के नागरिक निया देखेला जेसे साफ भान होता कि मानव सभ्यता कहि सोह्रौं सत्रौ शताब्दीये मे त नइखे । अपाङगता कवनो भि व्यक्तिके चाहना नाह इ त प्रतिकूल परिस्थिति आ विभिन्न तत्वके सही तालमेल नाभइलासे केकरो जीवनमे सृजना हो सकेवाला परिस्थिति ह । जउन परिस्थितिके सामना कइलाके अलावा अन्य कवनो भि विकल्प हमनी मानव जातिकेलगे नाहोला । अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके विभेद करेके, चिढावेके, अपमानजनक शब्द आ व्यवहार के प्रयोग कइलासे, अपाङगमैत्री अवधारणा, नीति, संरचनाके कमी अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके प्रमुख बाधा ह । हमनीके परिवार, समाज, चालचलन, संस्कृति अपाड्डता अनुकूल नइखे । चलेफिरे खातिर रोड जनसरोकार के कार्यालय जइसे ः स्कुल, स्वास्थ्य संस्थाके संरचना समेतमे अपाङग मैत्री नइखे । सूचनाके मुख्य माध्यमके रूपमे रहल इन्टरनेट एहुमे सरकारेके मन्त्रालयनके कुछ वेब साइटसब दृष्टिविहिन मैत्री नइखे । बहिर व्यक्तिलोग खातिर कवनो भि कार्यालयमे जाके जानकारी लेवेके परल त दो भाषे के व्यवस्था नइखे ।

हुविल चियर प्रयोगकर्तालोग उपरका तलाके कार्यालयमे तथा र्यामयुक्त कार्यालय नाभइलाके कारण जनसरोकार के कार्यालयतक नापुगे सकेलन । वौद्धिक अपाड्डता भइल व्यक्तिलोग अपना खातिर अपने क्रियाशील होखे नासकिहन् । उलोगके पक्षमे अन्य अपाङगता भइल व्यक्तिलोग भि कमे बोलेला । अभिभावकलोग सङगठित आ सशक्त भि नइखे । तसर्थ वौद्धिक अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके स्थिति अउर पीडादायक बा । मनोसामाजिक समस्या भइल व्यक्तिलोगके संख्या भि ओहिङहि बहुती बा । उलोगके अपाङगताभितरो नाराखलजाला ई कटु सत्य हमनीके समाजमे कायमे बा । यद्यपि विश्व स्वास्थ्य सङगठन मानसिक स्वास्थ्यसम्बन्धी समस्याके भि अपाङगताभितर समावेश कचुकल बा । सरोकार के पहिचान आ विकासके सवाल चेतना आ रोजगारीके अवसर मे समेत अपाड्डता भइल व्यक्तिलोगके पहुच पुगे नइखे सकत । अवसर प्राप्त अपाङगता भइल व्यक्तिलोग अपनासे निम्न स्तर के व्यक्तिलोगकेप्रति ज्यादा जिम्मेवार होखेके पारिवारिक तथा सामाजिक विभेदके सिकार होखेके, जीवन यापन करेवाला माध्यमके अभाव तथा हीनताबोधके कारण अपाङगताभितर भि सिमान्तकृत अवस्थामे रहल व्यक्तिलोगके स्थिति अउरो खराब आ दयनीय बा । राज्यसे प्राप्त अवसर चाहे रोजगार मे आरक्षणके बात काहेना होखो या राज्यद्वारा प्रदान करेवाला सामाजिक सुरक्षा भत्ता अन्य सेवा सुविधामे उचा पहुँचवाला आ सामान्य अपाड्डता भइल व्यक्तिलोगेके बोलवाला बा । अपाङगता भइल बालबालिका, महिला, कमजोर आर्थिक अवस्था भइल व्यक्तिलोगके लक्षित कइल कार्यक्रमके प्रभावकारिता भि बढ्त गइल नइखे लउकत । केतना अपाङगता भइल व्यक्तिलोग अपने समाजमे कुछ चुनौतीपूर्ण काम करके अगाडि बढ्लासे भि अपाङगताके माङके खाएवाला बर्तनके रूपमे प्रयोग करेलन । अपाङगता आ अपाङग भइल व्यक्तिलोगके प्रदान करेवाला सुविधाके सन्दर्भमे सब पक्षके आर्थिक अवस्थाके विश्लेषण कइल आवश्यक बा । जहा गरिबी उहा अपाङगता कहल बात बहुत तथ्य तथ्याड्ढसे पुष्टि होत आइल बात ह । जबतक अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके जीवनस्तर उठावेखातिर आयआर्जन मूलक तथा रोजगार मूलक अभियान सञ्चालन नाकइलजाई शिक्षा, स्वास्थ्य आ कानुनी मामलामे ओकनीके सवालन सुनिश्चित नाहोई तबतक अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके गुणस्तरीयत जीवनके सपना साकार नाहोएसकि । नेपालमे अपाड्डताके ओकर प्रकृतिके आधारमे सात प्रकार मे आ गम्भीरताके आधार मे चार प्रकार मे विभाजन कइलगइल बा । सरकार अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके उलोगके गम्भीरताके आधार मे चार प्रकार के अपाङगता परिचय पत्र वितरण करके व्यवस्था भि मिलइले बा । जइसे पूर्ण अपाङगता भइल व्यक्तिके लाल रड्डके ‘क’ वर्ग के अपाड्डता परि चयपत्र, अति अशक्त अपाड्डता भइल व्यक्तिके ब्लु रड्डके ‘ख’ वर्ग के , मध्यम अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके पीयर रङके ‘ग’ वर्ग के आ सामान्य अपाड्डता भइल व्यक्तिलोगके उजर रङके ‘घ’ वर्ग के अपाङगता परिचयपत्र वितरण कइले बा । परिचयपत्र वितरण प्रक्रिया वैज्ञानिक नइखे ।

सरकारी कर्मचारीलोग अपाङगताके बारेमे प्रशिक्षित नइखन । उलोग कइसन अपाङगता भइल व्यक्तिके कइसन परिचयपत्र देहल जाई ई विषयमे स्पष्ट जानकार नइखन । उलोग पर विभिन्न दबाब अभाव आ प्रभाव पररहल बा । ओहिसे उल्लेखित अपाङगता भइल व्यक्तिलोग उपयुक्त परिचयपत्र लेवे नइखे सकत । अपाङगता भइल व्यक्तिलोग भि अपना कहल जइसन परि चयपत्र नामिलला पर कर्मचारीलोगके घुर्कावेला जइसन सिकायत यदाकदा सुनल जाला । स्थिर सरकार नाभइल देशमे अइसन झन्झट आवल सङ्क्रमणके उपज ह बाकि इ हे बात से पीछे हटेवाला बात कदापि जायज नाहोई ।

बितल समयमे अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके अगुवालोग हि अधिकारके दुरूपयोग दोहोरा अवसर लेके कररहल बाडन कहल भि सुनलगइल । एकेगो व्यक्ति सरकारी नोकरी भि करके ललका परिचयपत्र लेके कुछो नाकरे सकेवाला पूर्ण अपाड्डता भइल व्यक्तिके मिलेवाला सामाजिक सुरक्षा भत्ता भि लेरहल बा जइसन बातसे अधिकारके दुरूपयोग भइल तथ्यके पुष्टि करेला । जउन बातके खोजी अपाङगता भइल व्यक्ति आ सरकार दुनुकोईके समयेमे करल जरुरी लउकता । लोकसेवा आयोगके लेवेवाला परीक्षामे अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके आरक्षणके व्यवस्था बा आ अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके कोटासे नाम निकालेके सहज होखि देखके साड्ड व्यक्तिलोग भि अपाड्डता परिचय पत्र बनाके लोकसेवा आयोगके परीक्षामे संलग्न होके अपाड्डताके नामसे निजामती सेवामे प्रवेश करेवालन के संख्या बढ्ेलागल बा ई अपाङगता भइल व्यक्तिलोगके सिकायत बा । उहे हातसे लीखके परीक्षा देवेके आ हातके अपाड्डताके परिचयपत्र लेवेके, आखसे देखके पढेके आ अपने देखके लिखेके बाकि दृष्टिविहीनके परिचय पत्र लेके दुरूपयोग करेके, सुस्त श्रवणके परिचयपत्र लेके सहभागी होखेके बाकि अन्तर्वार्ता अपने सुनके देवेके अर्थात केकरो मालुम चलजाई कि सोचके बहुती घुलमिल नाहोखेचाहेवालन के सङ्ख्या लोक सेवा आयोगमे बहुत होला अइसन जानकारलोगके कहनाम बा । यदि साचो कमजोर वर्ग के पहुच राज्यमे स्थापित करेके चाहलगइल बा त लोकसेवा आयोग आ राज्यके इ पक्ष पर सोचेके चाहि ।

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