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चार मुक्तक (हे नुतन वर्ष)

  • by
SudhaMishra

हे नुतन वर्ष

हे नूतन वर्ष नवीन उमंग लअबिहा
जीवलेल जीवके नव तरंग लअबिहा
जुरेबा तुहु जुरायल देखि धरती गगन
कलशमे सजाक प्रह्लाद प्रसंग लअबिहा

सभ मायके बेटा तु बनिहे

हर्ष पसरी जाई ओहन काज तु करिहे
करेजा जुरा जाई तेहन भाव तु बटिहे
देखिएक तोरा गदगद होई सभलोक
हमरेटा नही सभ मायके बेटा तु बनिहे

सोन सन पुत

शीतल पवन गुमारक बनिजेतै
धिपल आदित्य जारक बनिजेतै
सँग सदिखन ईजोर रहतै ओकर
सोन सन पुत संसारक बनिजेतै

छि किछु हमहु

छि किछु हमहु मानिक तु चलिहे
ठानल काज पूर्ण कएक तु रहिहे
फुलाय लाय समुद्र नही भेटौ सही
छोट खदहोमे कमल बनी तु रहिहे

सुधा मिश्र
जनकपुर -४
धनुषा,नेपाल

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