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सेनामे मधेसीके पहुच रोके खातिर पुरातनवादी, यथास्थितिवादी षडयन्त्रकारी गैर मधेसी समुदाय जीतोडके नया नया विवाद, बहस आ बखेडा सिर्जना करमे आपन दम लगादेले बा । का इ उचित ह ? एकर विश्लेषण कइल बहुत जरुरी बा । डा. बाबुराम भट्टराईके सरकार मधेसीके नेपाली सेनामे भर्ना करेके घोषणा कइलाके बाद इ सरकारी नीतिके विरोधमे षडयन्त्रकारी गैर मधेसी आपन पुरा जान लगादेले बा । तनी इलोगके तर्क के सम्बन्धमे चर्चा कइलजाव, विभिन्न पत्रपत्रिका आ भाषणमे कहल बातके उल्लेख करतानी ः
(१) मधेसवादी दलद्वारा प्रधानमन्त्रीके दबाब देलाके परिणामस्वरूप सरकार सेनामे अलग मधेसी बटालियन भर्ना करेके निणर्य कइले बा ।
एकर मतलब इ भइल कि हमनीये लेखा इहो सरकारके मधेसीके शोषण करेके चाहि, काहे इ सरकार अइसन दबावल,हमनीद्धारा खुन चुस लिहल गइल मधेसीके ओकर हक अधिकार देवेके बात करता? इ सरकार बेकार ह । बाकि इ समाज भुल जाताकि मधेसी हमेसा प्रतिकृयावादीलोगके बातमे आवेवाला नइखे । मधेसीके नया पुस्ता ठोस आ मुहतोड जवाब देवेमे समर्थवान होरहल बा आ एक समय अइसन आई कि अइसन धोखेबाज के भा इ कहि जउन थरियामे खाएके उहे थरियामे छेद करेवालनके नाछोडी अपन हक लेके रही ।
(२) सरकारके नेतृत्व करेवाला राजनीतिक पार्टी आपन सरकार टिकावेखातिर अनापशनाप आ विवादित निर्णय करके देशके अनिर्णयके बन्दी बनावेला, अन्योल सिर्जना करेवाला काम खुलेआम करत आरहल बा ।
अपन मतलबके निर्णय भइला पर इहे बात कहके विरोध करेके हिम्मत बा का इ विचारवालनमे ?
(३) काङ्ग्रेस, एमाले सेना आ विभिन्न सङ्घसंस्थाद्वारा कइल अइसन निर्णयन देशके दीर्घकालीनरूपमे विवादमे फसाई, राष्ट्रिय सेनाके अस्तित्वमे असर परी ।
पुछेके पडल काहो भाई जब १२ बर्ष जनयुद्धमे लागल माओवादी कार्यकर्ता भा लडाकुके नेपाली सेनामे समुहगत भर्ना करावल गइल त देशवा दीर्घकालीनरुपमे विवादमे नाफसल आ राष्ट्रिय सेनाके अस्तित्वमे असर नापरल जे मधेसीके समुहगत भर्ना करवलापर असर परी ?
(४) मधेसवादी पार्टीके चक्करमे पडके आपन छवि खराबहोरहल बात स्वयं प्रधानमन्त्री बाबुराम भट्टराइ महससु करत आरहल बाडन ।
विरोधी बनके नाबिगाडे सकलसन त प्रधानमन्त्रीके चम्चा हि बनके काहेना हाखो गलत सलाह देवेमे इ षडयन्त्रकारी समाज पीछे नाहोई ।
(५) कवनो भि देशमे भूगोल, क्षेत्रीयता आ समुदायविशेषके ‘स्पेशल आ विशिष्ट’ समझके देशके सुरक्ष्ााँजइसन संवेदनशील सेनामे परिचय देके भर्ना करेके चलन नइखे ।
पुछेके पडल काहो षडयन्त्रकारी केतना पढलबाड आ कहा कहा भा कवन कवन देशके उदाहरण देहलजाई त तोहरा अपन गल्ती समझमे आई ? हजारो वर्षसे करत आइल अमानवीय शोषणके क्षतिपुर्ती करेवाला साधन विशेषाधिकार ह । एकराके पहिलका समाज अपनाद्धारा कइल गइल अपराधके परिणाम ह समझलासे भि होई । पुराना राज्य आ पुराना समाज जउन पाप कइले रहे, जउन अत्याचार कइले रहे ओकर क्षतिपूर्ति देवेके कहलगइल ह । जेकर परिणाम त आवेवाला समाजके भोगेके भा मुआव्जा स्वरुप देवेके कहल ह ।
(६) सेना भर्नाके जिम्मेवारी सैनिक मुख्यालयके ह, एहमे सरकारके अपन पैर फसावेके खोजल नाजायज ह ।
इ काहे नइख कहत कि अब केकरा पर रोब डालेम, घरमे झगडा लगाके तमाशा देखेम, पंच बनके पंचायती करेम आ तोहरे बेटाहइ कहके भोट मागेम ? नाजायज बाप मातारीके लइका नाजायजे होला । सरकार के तरे नाजायज होगइल ?
(७) नेपाली सेनामे नोकरी करेखातिर मधेसी ना नेपाली होखेके जरुरी बा ।
इ हे बात त हमनीके खटकता कि हमनीके हइसन आदीवासी नेपाली इहवाके त हमनी के पहुच काहे नइखे ? घुमाके इ नइखे कहेके चाहत कि हमनी नेपालीये नाहइसन आ इ हेदेके पडोसी देशसे भागके आके नेपालमे बइठल बडका नेपाली होगइल बा ?
(८) बाबुरामलोग सकि त ‘नेपालमे मधिसे खालि रहि’ कहके निर्णय करदेवेके परल ।
एतना डेराएके का बात बा ? का कहियो मधेसी कहलख कि नेपाल खाली मधेसीयेके ह ? हरेक जात जाती, सम्प्रदाय आ संस्कृति के भौगोलीक स्वरुप ह नेपाल जेमे हरेक नेपालीके बराबर अधिकार आ सम्मान बा ।
(९) राज्य विशेष आ सरकार एहतरे एगो सम्प्रदायविशेषके खालि फोकस करत जाइ त इ देशमे जातीय सोचके बीया रोपेवालनके सूचीमे माओवादी आ मधेसवादी नम्बर एकमे गीनाए लागी ।
जे पिछडलबा, जेकराके राज्य अपन नागरीक समझके पुरा सुविधा नइखेदेले ओकराके नया नेपालमे स्थान त देवहिके पडि । आपन देश, संस्कृति आ अस्तित्वके संरक्षण तथा स्वतन्त्रताके प्राप्ती खातिर बलिदान होके लोकहितमे लागल तराई आन्दोलनके शहिद राज कुमार कामत(मोरंग), तलु हेमरन(मोरंग), निर्मल राजवंशी(मोरंग), सदानन्द यादव(मोरंग), दीन दयाल मंडल(मोरंग), हरि मेहता(सुनसरी), श्याम सुन्दर मेहता(सुनसरी), रामएकवाल राय(सर्लाही), आशीस अलि मिकरानी(सर्लाही), राम नारायण साह(सर्लाही), संजय कुमार राय यादव(सर्लाही), दिनेश राय यादव(सर्लाही), महावीर साह(पर्सा), दीपेन्द्र साह(पर्सा), वीरवल मुखिया(पर्सा), रमेश कुमार महता(सिरहा)े, वेचन यादव(सिरहा), मोहम्मद अनिस(सिरहा), प्रमोद सदाय(सिरहा), विजय कुमार सहनी(सिरहा), शेख अबदुल अनसनी(बारा), मजिद महम्मद(बारा), राजेश कुमार ठाकुर(महोत्तरी), शिव शंकर यादव(धनुषा), विष्कुट मिया(सुनसरी), सम्झना राई(सिरहा), राजेश ठाकुर(सिरहा), जगदीश पाशवान कतवारु(नवलपरासी), गुल्टेन दास(सप्तरी), गुल्जार खां(बाँके) के हरेक मदेशी हार्दिक सम्मानके साथ भावपूर्ण श्रद्धान्जली अर्पण करेला । का नया नेपाल गैर मधेसी अकेले बनवलेबा ? मधेसीके कवनो योगदान नइखे ? मधेसके युवा आपन खुन,पसीना नइखे बहवले नया नेपालला ? का आपन जान देके शहिद नइखे भइल आपन देशला ?एकर मतलब त इहे भइल कि इ सब खेल रहे मधेसीके प्रयोग करके आपन उल्लु सिधा करेके नेतालोग के ।

मधेसी आपन देशला देशभक्ति सिद्ध कचुकल बा तथा आपन कर्तव्य आ अधिकार पुरा करेमे सक्षम बा । आजतक शसस्त्र विद्रोह, षडयन्त्र, हातहतियार, खरखजाना भा सरकारी धनमाल आ कागजात आक्रमणकारी के देके मद्दत नइखेकइले, झुठा आंतक फैलावल, आपन डिउटी भा पोस्टपर आक्रमणकारी डांकु, तस्कर, बदमास आ हुलदंगा करेवालन के आक्रमणके समयमे ओकनीसे मुठभेड होत भा मुठभेड होखेके सम्भावनामे नामर्दिदेखाके भागल नइखे । हातहतियार खरखजाना बेचविखन कइले नइखे, अपनासे उपरके हाकिम के उर्दी मानेला, कर्तव्य पालनामे कायरता नइखे देखवले आ ना फोर्स छोडके भागल बा ।

मधेसी युवाके शैक्षिक योग्यता, वौद्धिक क्षमता, शारिरीक तन्दुरुस्ती, आचरण, उमेर, व्यक्तित्व गैर मधेसी युवासे कवनो हालमे कम नइखे ।

राजनीतिक पार्टीमे लागल कार्यकर्ताके भर्ना खातिर कैम्पमे सरकारी खर्चपर रखके वादमे मापदण्ड निर्धारित करके राजनितीक सम्झौताके नामदेके सेनामे भर्ती कइलापर कवनो विरोध, बाधा, भाषण कोई नाकइलख काहेकी उ आपन बाप, भाई, रीस्तेदार रहे । अब जब मधेसीके भर्नाके बात उठता त सबके कान खडा होगइल बा, आंख खुलगइल बा, मुहमे जबान आ हातमे कलम आ गइल बा । का ऐसे मुहमे राम राम आ बगली मे छुरा वाला आचरण षडयन्त्रकारी गैर मधेसी नइखे करत ? आ इ आचरणके वावजुद मुहसे मधेसी त हमर भाई ह कहेके नइखे चुकत । त मधेसी के एकर जवाब इ बा कि बहुत हमनीके मुर्ख बनालेली ए भाई अब खाली बतीये से काम नाचलि तनि व्यवहारोसे भाई बनावेके कोशिश कर नात तोर का होई सोचले अब तोरा सोचेके समय आगइल बा ।

किसानके बेटासे किसानी करवाके खा पि लेलसन अब तनि तोनियो किसानी करलसन भाई आ अब किसानके बेटो मानपदवी, अलंकार, पदक, तक्मा जइसन विभूषण अर्जेके चाहता, त का खराब इच्छा करता ? ओकर ईच्छा बहुत नेक आ सम्मानजनक बा जेकर प्राप्तीला किसानके बेटा कवनो कसर बाकि नाराखि ।

अन्तमे नेपाल अधिराज्यके सार्वभौमसत्ता भा प्रादेशिक अखण्डता आ राष्ट्रिय एकता अक्षुण्णतामे खलल होखेवाला विभिन्न वर्ग, जाति, धर्म एवं सम्प्रदायके जनताके बिच घृणा, द्वेष भा अवहेलना होखेवाला लेख भा वचन भा आकार आ चिन्हद्वारा भा अउरो कवनो किसिमसे कवनोकाम करेके नेपालके संविधान केकरोके हक नइखे देले ओहिसे षडयन्त्रकारी गैर मधेसीके इ बातके विचार करेके चाहि आ अइसन क्रियाकलाप तुरन्त बन्द करदेवेके चाहि ।

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