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हमर कनियाँ एना क रहे

  • by
SudhaMishra

कानमे झुलैत बालिरहैक
ठोर पर सदिखन लालिरहैक
आँचर ओकर लहरातिरहै
कारी लट उडियातिरहै
हमर कनियाँ एना क रहे

उठिक पहिने हमरा उठाबे
चाय बनाक मुस्कैत आबे
शरारत कय हमरा जगाबे
किछु डाटिक किछु जताबे
हमरा कनियाँ एना कँ रहे

मिलल पहिरनके फेर सँ मिलाबे
मोबाइल दय हाथ घरी पहिराबे
काज सकैत घर आयब सुनाबे
दूर तकि निहारैत बिदा कराबे
हमर कनियाँ एना कँ रहे

केना छी कहीं फोन टुनटुनादे
समय पर खालेब याद दियादे
जलपानक ईशारा सेहो करादे
सुमिरन कराक पानी पियादे
हमर कनियाँ एना कँ रहे

घर पँहुची तँ दौगल लग आबे
सजल धजल रुप हमरा लोभावे
हाथमुह धोउ कहीं गमछा बढाबे
गरमा गरम कचरी लँ खुवाबे
हमर कनियाँ एना कँ रहे

थाकल होयब कहीं पैर दबाबे
अनुराग पसारैत माथ सोहराबे
चहैक अपने मोरो चंचल बनाबे
नितराति अपने हमरा बहकाबे
हमर कनियाँ एना कँ रहे

चिन्तित देखे तँ साहस बढाबे
टुटलमे हमरा हिम्मत जगाबे
टलि जेतै ग्रह कहिक बुझाबे
हाथ पकरि हमर उर्जा बढाबे
हमर कनियाँ एना कऽ रहे

सुधा मिश्र
जनकपुर -४
धनुषा,नेपाल

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