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कविता शृंखला (दुख : १०)


नंगा फकिर सधैँ सुखी
मणि मुकुटधारी दुःखी
रंकरज्जब सबै सुखी
स्वर्ण हवेली सधैँ दुखी

महागरीव कविर सुखी
महाधनी कुवेर दुःखी
तन्नम नेपाल छ सुखी
अलकापुरी अम्रिका दुःखी

धोती धारी गान्धीजी सुखी
खरवपति गान्धीजी सुखी
खरवपति विल्गेट दुःखी
डायोजनिक सधैँ सुखी
छ सिकन्दर सधैँ दुःखी

छ समुद्रको ह्वेल दुःखी
बरुवाको वुदुनो सुखी
विसाल बलको हात्ती दुःखी
छ सुस्मकिट महासुखी

आकास छुने सिमल दुःखी
भुई ढोग्ने नर्कट सुखी
रुखको ताजा पात दुःखी
उडिहिड्ने पत्कर सुखी

पक्का दलान छानो दुःखी
खर पराल छ्वाली सुखी
जोर जम्मा वचती दुःखी
वाँडी खाने विपुल सुखी

2 thoughts on “कविता शृंखला (दुख : १०)”

  1. Aaja dil khus xa.kinaki
    Aaja dil khus xa.kinaki haamilai sadhai maargadarsan garne guru jyu ko yati mitho kriti majherima padhna,herna paayako xu.

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