मेरे नेताजी (नेपालका गरिव नेताहरुको कथा ब्यथा ) !!
ये वेचारे बहुत गरिव थे
गरिवी हटानेके लिए लड़ते रहे
गरिव जनताके नाम पे लड़ते रहे
वेचारे दिन रात ये लड़ते रहे
लड़ते लड़ते जिन्दगी भर
ये देशके गिनतीके अमिर बन गए
गरिव जनता और गरिव बन गए
अब भी ये बातों बातोंमे
जनताके लिए लड रहें है
वेचारे यिनकी जिन्दगी
पल पल जनताको लुटनेके लिए
कुर्वान है !
लुटो खुब लुटो
जिन्दगी लुट्नेके लिए है
एक बात मेरी तुमसे है
बस जनताके नाम पे ना लुटे
हम लोग जैसे है अच्छे है
हमारी गरिवी मत छिनो
हम जो है वो ही हैं
हमने बचना सिख लिया
दुख: मत करो हमारे लिए
ऐसी गरिवी मत हटाओ
जो तुमलोग अमिर बने
हम बद्से बदत्तर
भोके नंगे हो गए !!