बौवा चोरी कैरक, केलकै पास
आइ रोडप छिलैय घाँस ।
माइ बाबुक, छल कतेक आस
तोइर देलक, सब विश्वास ।
पढाइ छोइरक, मारैल गेल माछ
केलक जिन्दगी क, सत्यानास ।
लफुवा छौरा संग, घुमलै भोर साँझ
बिरी सिगरेट पिलकै, पिलकै गाँजा भाँङ ।
बाबुजी क बटुवा चोरै, कोठी क धान
चोटै भ्याँ, बहिनक, घर भेल समसान ।
घरेघर चोरी करै, करै नीच काम
बहिन बेटिक जिस्काबै, रस्ताम करै परेसान ।
गामगाम मे, केलक गामोक नाम बदनाम
करतै कि जब नै कर आबै कोनो काम ।
बौवा चोरी कैरक, केलकै पास
आइ रोडप छिलैय घाँस ।
– श्यामपृत मण्डल
नर्घो-३ सप्तरी
(कुलतमा परेर पढाइ छाड्नेहरुले बुवाआमाका साथै गाउँकै बदनाम गर्न पुग्छन् र आफ्नो भविष्य पनि अन्धकारमा पार्छन् भन्ने भाव व्यक्त भएको मैथिली भाषाको कविता ।)