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भेल अर्घ्यके बेर


अदभूत अनमोल पावनि छठि
आनन्द उत्सव अछि ढाकी भरि
शृगार भरल घाटबाट गाम
जँ निष्ठा स पुजब पुरत आश

खेतक उप्जल बारिक फरल
सुप कन्सुप्ती सरवा सजल
नही कुनो शास्त्र नही कुनो वेद
उगु सुरज देव भेल अर्घ्यके बेर

हिन्दू मुश्लिमसँग अराधल
जलमे ठाड मैयाके पुकारल
नही केउ उच नै केउ नीच
सभहक नैवेद्व बीच शुभ दीप

अन्हराके आँखि कोढियाके कायाँ
अछि छठि मैयाके अपार
बझिनियाके कोखिया उगल चान
मैयाके अछि ह‍‍‍ृदयस प्रणाम

सुधा मिश्र
जनकपुरधाम – ४
प्रदेश नं. २, धनुषा

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