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बुढापा (बृद्धावस्था)

KarunaJha


व्याकुल भ हमर मन
पुछि रहल भगवान सँ
किया भटकि गेल मानव
आई अपन इमानसँ ।
बृद्ध भेनाई कोनो पाप नहि
तइयो ई विषक प्याला अछि
वृद्ध क खातिर कोनो सन्तान
आई समय नई निकालत अछि ।
राम नहि छथि अई दुनियाँ मे
आँखि में तइयो एक आशा अछि
अई संसारक माया देखु
आइ त दशरथ के बनवास अछि ।
पिता घरक रुप अछि त माता अछि ज्योति
सन्तान क देल पीडा सँ चुपचाप अछि सिसकाति ।
आँखि क नोर ताइयो कहि रहल
हमर लाल आँहात खुश रहु
भगवान नै करय कहियो की एहन दु:ख भोगु अहुँ
तोहर कृदिन सुनि जे पल में होइछल व्याकुल
ओकर आह सुनि क भी आँहा छी शान्त बैसल ।
जिनका जीवन क आँहा रचना छी
ओकर कनियो त लाज राखि ली
जाई कान्हा पर झुला झुलल
ओकरा त कनि कान्हा अहुँ ददी ।
बिसरि गेलउ आँहा सब किछु
मुदा एकटा बात नई बिसरु
जीवन के सच्चाई बुढापा अछि
ई सच्चाई के नइ बिसरु ।।

(नेपालीमा भावानुवाद – बुढ्यौली, जीवनको एक अनिवार्य चरण भएकाले आफूलाई जन्म दिने आमाबुवालाई वेवास्ता नगर्न, दुख नदिन कवितामा आग्रह गरिएको छ । सन्तानले दिएको पीडामा बगेको आँसुले पनि छोराछोरीलाई आर्शिवाद नै दिइरहने हुनाले जन्म दिने र बाल्यकालमा काँधमा झुलाउनेलाई उनीहरुको बुढ्यौली उमेरमा थोरै सहारा दिन आग्रह गर्दै कवितामा सबैजनाले बृद्ध हुनै पर्छ भन्ने सत्यतालाई नबिर्सन सचेत गराइएको छ ।)

– करुणा झा
राजविराज–६, सप्तरी
सम्पर्क नम्बर : ९८५२८२१८५८, ०३१५२२८३०
लेखनको विद्या र शुरुवात : कविता, कथा, निबन्ध, नाटक (२०५३ साल देखि)
प्रकाशित कृतिहरु :
१. ‘‘भगजोगनी” (मैथिली कविता– संग्रह)
२. ‘‘जीवनदान” (मैथिली लघु कथा–संग्रह)
३. ‘‘शंघोषण” (नेपाली निबन्ध–संग्रह)
४. ‘‘जीवन पथ पर चलते चलते” (हिन्दी निबन्ध संग्रह)
लेखन गतिविधि/साहित्य
लेखनको अभिष्ट : महिला सशक्तीकरण, उत्पीडन र सामाजिक कुरितीहरु, महिला हिंसा, समाजमा महिलाको ज्वलन्त समस्या, समसामयिक विषय, हाँस्य व्यंग्य
शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी)
संलग्न संस्थाहरु
१. सञ्चार यात्रा, नेपाल
२. पत्रकार (सि एफ.एम.)
३. मैथिली साहित्य परिषद्
४. सगरमाथा साहित्य परिषद्
५. मिथिला कला–साहित्य प्रतिष्ठान
६. दहेज मुक्त मिथिला, नेपाल

1 thought on “बुढापा (बृद्धावस्था)”

  1. अत्यन्त उच्च रचना । सबै बुझेँ
    अत्यन्त उच्च रचना । सबै बुझेँ मैथिली बोल्न नसके पनि । धन्यवाद छ बैनी ।

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