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मै शहर मे घुमथौ (थारू भाषाको गजल)


सफर मैं हौ एक सफर मोए में फिर है
मैं शहर में घूम थौ, शहर मोए में फिर है

मिर टूटो घर हंसके मत देख मीर नसीब
मैंअभै टूटो नाहौ, एकघर मोए में फिर है

खूबै वाकिफ हौ दुनिया कि हकीकत से
शख्स हर घेन से बेखबर मोए में फिर है

आदमी में बढरहो है दिनौदिन कैसे जहर
देखथौ मैं फिर कुछ जहर मोए में फिर है

समयसे जरुरत कोही अछुता ना हए हेना
कैसे इनकार करौ, असर मोए में फिर है

गजलकार :- लाक्पा शेर्पा समर्पित ताप्लेजुङ
हाल :- धनगडी कैलाली नेपाल

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