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मैथिली भाषा

KarunaJha

बुढापा (बृद्धावस्था)

व्याकुल भ हमर मन
पुछि रहल भगवान सँ
किया भटकि गेल मानव
आई अपन इमानसँ ।
बृद्ध भेनाई कोनो पाप नहि
तइयो ई विषक प्याला अछि
वृद्ध क खातिर कोनो सन्तान
आई समय नई निकालत अछि ।

अपने औथिन गाम (मैथिली कविता)

आब शरद्क ऋतु आगमनके एहसास होइय
बढी जाइय खुशी आनन्दके आभास होइय
वितरहल विरहक घरी अपने औथिन गाम
बाट जोहैत चञ्चल नयन करतै आब आराम

उथल पुथल अखने सँ मचि गेल अही मोनमे
सुरुजक किरण सेहो कहैय बहुत किछु भोरमे
नही बसमे किछुओ हमर धडकन छ‌ै बेहाल
शेष रहितो चारि दिन मचा रहल छै उदफाल

ने कहके आँट रखैत छी (मैथिली गजल)

भुलि नई सकैछी ने कहके आँट रखैत छी
मोन ही मोन सही बहुत याद करैत छी

व्याकुल होइछी जखन देखलाय सुरतके
अँहाके डि.पी. के जुम कय कअ देखैत छी

KiranJha

बन्द करू दहेज प्रथाके (गीत)

बन्द करू बन्द करू बन्द करू
दहेज प्रथाके अन्त करू
करय छी बरागत सत सत प्रणाम
हटाऊ सब मिलिक दहेजक नाम ।

महामांस बेची जुनी कटु फुफाकर
आदर्श ब्याह करू बनु उदार
पुत्र अहाके रत्न समान
हटाऊ सब मिलिक दहेजक नाम ।

मधुर मिलनके आस यो (मैथिली गजल)

हरियर सारी हरियर चुरी हरियर छैक मास यो
मास छैक मधुमास इ मधुर मिलनके आस यो

दुर रहब नहि उचित अपन कनियाँ वियाही सँ
लौटु अपन मरैयामे कते हमरा करब उदास यो

हम बगियाके फूल (मैथिली गजल)

हम बगियाके फूल गमैक हृदय अँहाक जाइय
हम सिनेहक लुती सुलैग हृदय अँहाक जाइय

कारी घनगर केश जखन बादल बनी वरैसय
वादुर पपिहा गवैय भिजैत हृदय अँहाक जाइय

अनुरागक डोर (गजल)

मोहिनी छै अनुरागक डोर अँहु त तनिते हायब
दुरी सँ दुर दु मीत सही मोन सँ त मानिते हायब

मेसेज नहि हमरा नहि एक कल फोन सही
घरीघरी खोलि मोबाइल अँहु त देखिते हायब

काठमाण्डूक छठि

नेपाल आ भारतक उत्तर क्षेत्रमे हिन्दूसभद्वारा मनाओल जाएवला छठि पावनि आव नेपालक राष्ट्रिय पर्व भऽगेल अछि । ई महान पावनि नेपालक पहाड़ी क्षेत्र, उपत्यका आओर विभिन्न शहर सभमे निक आस्था, निष्ठा आ धुमधामके संग मनाओल जाइत अछि । एहि पर्वमे भगवान सूर्य देव, पौराणिक षष्ठी माता भगवती, पौराणिक वेदक देवी उषा आ प्रत्युषा (सूर्य देवक कनियाँ)क पूजा कएल जाइत अछि ।

बाल्यकाल

छलैह एकटा जमाना,
खुशीक नहि कुनू ठिगाना,
चन्दामामा तर जेबाक चाहना,
मुदा टाँट पर बैसल टिकुलीक दिवाना,
आहा, बाल्यकाल बहुत सुहाना ।१।

कर्चीक छडि बनाना,
मास्टरजीक टेस्ट अपने पर करबाना,
पाटी पर कारिख लगाना,
पत्थरखडी सँ कख–कबिरकान लिखना,
पढाईसँ बेसी खेलकूदक दिवाना ,
आहा, बाल्यकाल बहुत सुहाना ।२।

गोरहा खेतमे महिस चराना,
जलखोइ–कलौह भैंसबारेसंगैह खाना,
गुल्ली–डन्डी खुब खेलना,
चौपायाक ओगरबाहीमें मन लगाना,
इस्कुल जेबाक नहि चाहना,
आहा , बाल्यकाल बहुत सुहाना ।३।

पठरु, बच्छरुसंग खेलना,
आनक खेतसँ धान नोइचके लाना,
अगहायत धरि खुआबैत रहना,
कूदफान खुब करना,
टिसन नहि जेबाक अनेक बहाना,

चलू आजू धनकें बात करि

बजार प्रशंसाकें छहि,
मोल ओतेह प्रतिभाक नहि,
झुठफूँसकें खेती बन्द करि
चलूँ आजू धनकें बात करि
बताऊ अहाँक मित कई गोट अछि ? ।१।

चारु दिशि पसरल सिन्डिकेट छहि,
स्वतन्त्र लोकक पुछारी नहि,
भाट/पमरियाक शैली बन्द करि,
चलूँ आजू धनकें बात करि,
बताऊ अहाँक मित कई गोट अछि ? ।२।