८९.
मुदुस्सा चिडै
दिन भरि आन्हर
साँझ मे तेज ।
९०.
बकुला ध्यान
नदी के किनार मे
हेले बुआरी ।
९१.
डोकहर के
लग मे गहुमन
उगले विष ।
९२.
चिल्हक पंजा
परल रहु पर
छुटल प्राण ।
विनीत ठाकुर
मिथिला बिहारी नगरपालिका
मिथिलेश्वर मौवाही – ३
धनुषा, प्रदेश नं. – २
मिथिलाक्षर (तिरहुता) आ देवनागरी दुनु लिपिमे प्रकाशित कृति ‘वसुन्धरा’ हाइकु संग्रह सँ साभार :