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ऊ मुर्ती हो बिधाता हैन

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ऊ मुर्ती हो बिधाता हैन
ऊ ढुङ्गा हो देवता हैन।

दु:ख पर्दा मुस्कुराउँछ
ऊ छली हो प्रणेता हैन।

कुकर्म चुप चाप हेर्छ
ऊ ढोगी हो अध्येता हैन।

अनभिज्ञ छ सबै जानी
ऊ पृष्‍ठ हो ब्याख्ये ता हैन।

जाली झेलिको लड्डु लिन्छ
ऊ लोभ हो धैर्यता हैन।

सबै समान उस्को लागि
ऊ मुर्ख हो बिजेता हैन।

कोही मरे पनि त के भो!
ऊ आँशु हो ममता हैन।

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