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चैत्र २२ गते २०६९, वियफेके दिन प्रकाशित राष्ट्रिय समाचार पत्र कान्तिपुरमे प्रकाशित एमाले नेता रघु पन्तके मधेस, देश र परदेश नामक लेखके सन्दर्भमे आपन स्वतन्त्र विचार व्यक्त करेके चाहतानी नेपाली राजनीतिमे जउन पार्टी सरकारमे गइल उ आपन कामके बढिया आ उच्च महत्व देवेला आ विरोधी पार्टी ओकर कामके खराब आ देश विरोधी कहके अपन राजनीति जारी रखेला । का ई बात ठिक बा ? हमरा हिसाब से इ बात बिलकुल गलत बा आ चाहे सरकारमे रहल पार्टी हो भा सरकार बाहर पार्टी , निमन कामके ठिक आ खराब कामके बेठिक कहेके हिम्मत नेतालोगमे होखेके चाहि खाली आपन स्वार्थ पुरा करे खातिर ठिक कामके भि खराब कहलासे सहि काम बेठिक ना होखेला । बेठिक त उ गलत बात कहेवाला नेताजी हि होखेला ।

नेपाली राजनीति सिद्धान्त, विचारधारा आ नीतिके आधारन क्रमशः नइखे गुमवले । तात्कालिक लाभहानिके आधारमे दलके निर्णयन त प्रभावित भइल लउकल बा । चुनावमे भोट विगडेसकि लगलापर भि कवनो पार्टी भा नेता देशके खातिर हानिकारक होवेवाला निर्णय करेके आत्मघाती प्रवृत्ति पार्टीयनमे कहियो नइखे दिखल । देश आ जनताके हितसे उपर आपन स्वार्थके केन्द्रमे रखके सोचेके आ ओकरा खातिर देश आ स्वयम् आपन स्वाभिमानसमेत बेवास्ता करेके प्रवृत्ति नेतालोगमे दिखल नया बात ना ह इ बात त नेताजी स्वयं भि बढियासे बुझलही बाडन । देशके दीर्घकालीन हितमे नकारात्मक प्रभाव परेवाला निर्णयन करेखातिर बारम्बार तत्पर रहेवाला पार्टी आ पार्टीके नेतालोगके अइसन करेके बाध्यताके कारण खोजल आ ओकर अन्तर्यमे गहिराइसे छलफल करल जरुरी बा ।

ई बात सहि ह कि देश रहि त हमनीयो रहम, हमीये रहम कहके नासोचेवाला नेतालोग देशके अखण्डता आ सार्वभौमसत्ता जोगावे नासकियन । बाकि इ बात सहि ना ह कि अपना बारेमे नासोचल जाई तबहु सरकार हमनीके बारेमे सोचि आ हमनीके विकास होई । ई बात पर विश्वास करेके परिणाम ह कि आजु हमनी उपेक्षित, पिडित, अपमानित होके आपन अस्तित्व हि गुमाचुकल बानि जा । ई बहुत पुराना नारा ह कि हमनि चाहे हिमालके बारेमे सोचि भा पहाड, मधेसके बारेमे सोचि भा उपत्यका, सबसे पहिले सोचेवाला विषय नेपालके बारेमे नेपाली होके ह । इ नारा ऐतना ना काम कइलस कि तराइयन अपनाके सबसे बडका राष्ट्र प्रेमि समझके आ व्यवहारमे देखावे खातिर जे जइसन कहलख तराइयन मानत गइल बाकि आपन हित आ समाजके विकास खातिर कहियो आवाज नाउठवलस जेकर परिणाम इ भइल कि तराइके हित आ विकास देखावे खातिर संघ संस्थाके स्थापना आ गैर मधेसीयनके भर्ना करके ओकरापर अधिकार जतवलाके साथे साथ ओकरासे बडका राष्ट्र प्रेमि हमनी हइसन कहके निचा देखावेवाला संस्कारके विकास भईल । सहि विकास त एकरा के कहलजाला कि तराईके वासिन्दाके शिक्षा, रोजगारी, सेवा सुविधामे सरल पहुच ओकर संस्कार आ संस्कृतिके विकास आ सम्मान करके ओकर संरक्षण राज्यद्धारा कइल जाइत । खालि भाषण आ कानुन बनाके केकरो विकास कइले बानि कहल बात गलत होई, कागजपर समान हक आ अधिकार दिहलगइल बा देखाके देशके कइसे भावनात्मक रूपमे बरियार बनावल जासकेला ? केतरे एकतामा बाधके रखल जासकेला ? हमनीके अनेकतामे एकता बरियार बनवलाके बदला जउन बाचलखुल एकता बा ओकरो नेपाल अधिराज्यके सार्वभौमसत्ता भा प्रादेशिक अखण्डता आ राष्ट्रिय एकता अक्षुण्णतामे खलल होखेवाला विभिन्न वर्ग, जाति, धर्म एवं सम्प्रदायके जनताके बिच घृणा, द्वेष भा अवहेलना होखेवाला लेख भा वचन भा आकार आ चिन्हद्वारा भा अउरो कवनो किसिमसे कवनोकाम नाकरेके चाहि ।

आपन हक हितके सम्बन्धमे मधेसके खाली चिन्ता देखाके मधेसीके नाममे आपन व्यक्तिगत स्वार्थके हित साधन कोइ भि मधेसके नेतालोग नइखे करत आ मधेसी चाहे कवनो पार्टीमे काहेना होखो उ अब मधेसके हितला एकजुट होगइल बा ओहिसे मधेसी नेता मधेसमे अनेक कृत्रिम स्वार्थनके दिवाल खडा करके बाकी नेपालसे मधेसके भावनात्मक रूपमे अलग करेके प्रयत्न निरन्तर जारी रखले बा कहके हमनीमे फुट डालके कोइ आपन उल्लु सिधा करलेम सोचता त उ बेकार बा । सचेतनतापूर्वक शक्तिशालि बडका पार्टीयनके मधेसके मात्र नेतृत्व करेके क्षमता भइल मधेसके पृष्ठभूमिसे आइल तराई मूलके नेतालोगके ओकर योग्यता आ क्षमता बृद्घि करत मधेसमे अपनाके विस्तारित करत अगाडि बढेके परि ।

आज विश्वव्यापारिकरण भइल समयमे एक देशके आदमी दोसर देशमे सरलतासे जा सकता, आ सकता आ व्यापार करसकता । अइसन परिप्रेक्षमे तनि नेपालीयनके भारतमे वसोवास आ व्यापार भा रोजगारी के तथ्यांक देखलजाव त बहुत ज्यादा बा । संख्या उल्लेख कइला पर शर्म लागेवाला अवस्था भइला से हम उल्लेख नइखि करत । उ सारा नेपाली भारतमे सरलतासे उहा जमिन खरिद करसकता, बैंकमे खाता खोलसकता, घर बनवा सकता काहेकि उहवा इ सारा सुविधा उहाके सरकारद्धारा दिहल गइल बा । जेकर फाइदा उठाके उहा रहेवाला नेपाली रासन कार्ड से लेके भोटर कार्ड तक प्राप्त कर चुकल बा, विना नेपालके नागरिकता त्याग कइले । ज्वलन्त उदाहरण भारतके चर्चित योग गुरु रामदेव बाबा के नेपाली चेला आचार्य बाल कृष्ण जउन अभि खुब चर्चामे बा । इ हे एगो उदाहरण नइखे अइसन बहुते उदाहरण बा जेमेसे एगो ह मावबादि पार्टीके एगो उच्च नेता खाली भारतेके ना भुटान आ चिनके भि नागरिकता लिहल जउन नेपाल पुलीस उजागर कइले रहे । खालि मावबादीये पार्टी काहे नेपालमे रहल हरेक राजनीतिक पार्टीके कइयन उच्च पदपर रहल गैर तराइयन नेतालोग के भारतीय रासन कार्ड से लेके उनकर रिस्तेदार लोगके भारतके बनारस, काशि, उत्तर प्रदेश, लखनउ, मुम्बई, कलकत्ता, दिल्ली जइसन शहरमे आपन घर बा आ दुनु देशके नागरीक बनके रहल प्रमाण जीन्दे बा ।

जे जइसन, ओकर सोच ओइसन, कहल बात सोह्र आना सहि ह । अपने तिनु देशके नागरिक भइल व्यक्ति, इ राज खुलजाई त ठिक नाहोई जइसन सोच राखेवाला, अइसन काम और कोइ ना करे इ उद्देश्यसे गैर तराइयन एतना ना ग्रशित बा कि हरेक चुनावके समयमे आपन मुख्य मुद्दा नागरीकताके बनाके देखावटी भारत विरोधि कृयाकलाप शुरु करेला आ भारत चुप रहके ओकर समर्थन करेला । जेकर परिणाम नेपाली तराइयनके असहय पीडा सहके अपमानीतरुपमे मानशिक प्रहार सहेके परेला । भारत, भुटान, तिव्बत, चिनसे आके तराईमे विभिन्न पेसा–व्यवसायमे रहल गैर–नेपाली जब नेपाली नागरिकताके प्रमाणपत्र लेवेके कोशिश करेला त सबसे पहिले उहाके मधेसीये नेता अगाडि बढके एकर विरोध करेला । बाकि गैर तराइयन नेतालोग अइसन अवाञ्छित कामकेप्रति मौन दिखेलन । नेपालमे भारतीय, भुटानी, तिव्बतीयन, चिनीयन नागरिकलोगके नागरिकता मिलल हमनीके देशके नागरिक चाहे उ हिमाली, पहाडि भा तराइयन होखो सभि खातिर ओकर भूमि आ अवसरउपरके पहिला अतिक्रमण ह ।

चुनावके समयमे मतदाता नामावली ठिक दुरुस्त करल राज्यके काम ह आ हरेक चुनावके समयमे एकराके ठिक दुरुस्त करेके पडेला जेकर उद्देश्य एगो भि बालिक मतदाता चुनावमे आपन मत दिहे से बञ्चीत नाहोखो । अभि आपन मतदान दिहे खातिर नागरीकता बनवावल जरुरी बा काहेकि बिना नागरीकता कोई भि नेपाली नागरीक आपन मतके उपयोग नाकरेसकि । ओहिसे मतदाता नामावलीके तयारीके साथेसाथ नागरीकता वितरण काम भि राज्यद्धारा संचालित होरहल बा जेकर उद्देश्य उपर बताचुकल बानि रहल सवाल गैर नेपालीके नागरीकता लिहल सम्बन्धमे नागरिकता वितरण करेवाला टोलीके उपर पत्रकार, नेता, जनसमुदाय सभिके निगरानी रहेके चाहि कि कवनो गलती नाहोखे आ सजग रहल जरुरी बा । बाकि कुछ पत्रकार आ नेता इ समयके आपन कमावेवाला सिजन के रुपमे मानेला आ भुमिका बनावे खातिर पहिलहिसे एकर खुब बिरोध आ हल्ला करेला भा अनर्गल प्रचार प्रसार करके आपन फाइदा उठावेके चाहेला । अइसन नेता आ पत्रकारसे दुर रहलामे हि भलाइ बा ।

नेपालमे शरणार्थीके रुपमे भा व्यापार आ काम करेआइल व्यक्ति इहवा व्यापार, नोकरी आ काम जमावेला भि नागरिकताके प्रमाणपत्र लेवेला लालायित बाडन । गृह मन्त्रालयके स्रोतके हिसाब नेपालमे जनसंख्याके बृद्धिदर उच्च बा जेकर कारण हिमाल, पहाड आ तराइमे जनसंख्या साले साल बढ रहल बा । नेपालके इतिहासकार, भुगोलविद आ साहित्यकारलोगद्धारा सिद्धकर चुकल बात भा इ कहि कि स्वयं सभि पार्टीके नेताजीलोग द्धारा स्वीकार करल बात ह कि हिमाल, पहाडसे बहुत ज्यादा जनसंख्या रहल क्षेत्र तराई रहे, बा आ रहि । इ हे जनसंख्याके आधारपर मधेसी नेता तराइमे निर्वाचन क्षेत्र बढावेके आ पहाडमे घटावेके मांग करता जउन उहवाके नेताजी लोगके पचत नइखे कारण स्पष्टबा कि उलोग के सिट घटी आ मधेसी क्षेत्रके सिट बढि ओहिसे तराइयनके प्रती घृणा, द्वेस आ अहंकार इलोगमे भरल बा बाकि इहो बात सत्य ह कि सभि नेतालोग अइसन सोच ना राखेला आ मधेसीके हक हित के बारेमे बहुत कुछ कइले बा आ भविष्यमे भि करी । देशके जनसंख्या बढल प्राकृतिक नियम ह । एकराके जनसांख्यिक
अतिक्रमण नाकहल जाला । बल्की जनसंख्या नियन्त्रण करेके प्रभावकारी उपाय राज्यद्धारा निरन्तर संचालित करेके पडि ।

चुनावके समय भा आपन सरकारके नेतृत्व नारहल समयमे नेतालोगके पडोसी देश भारत आ चिनके नामलेके गलत बात आ अफवाह नाफैलाएके चाहि । पडोसी देशन के नाम लेके आपन उल्लु सिधा कइलाके अलावा आपन देशके हितमे आवाज उठावेवाला नेतृत्व आजुके आवश्यकता ह । मधेस देशसे अलग नइखे, हिमाल आ पहाडसे इ अभिन्न रूपमे सम्मिलित बा । मधेसके सम्बन्ध खराब होइ त एसे दुःख हिमाल आ पहाडेके होइ । हिमालसे पगिलत आ पहाडसे बहत आइल हमनिके अनेक नदीनाला हिमाल, पहाड आ तराईके एकसूत्रमे बन्हले बा । पहाडिया आ मधेसीबीच द्वन्द्व खडा करके तराईके अस्थिर आ अशान्त बनावेवाला आ गैर–नेपालीके नागरिकता दियावेमे कृयाशिल कोई भि आदमी देशके हितचिन्तक नाहोखेसकि ।

राज्य प्रायोजित पहाडी जनसंख्याके तराईमे व्यापक बसाई सराईसे अन्ततः इहाके आदिवासी जनजातियनके सम्पूर्ण रुपमे राजनैतिक, सामाजिक तथा आर्थिक हैसियत गुमावल अवस्था बा । मधेसमे जातीय, भाषिक, वर्गीय, क्षेत्रीय, लैङ्गिक विभेदके अन्त्य, आत्मनिर्णयके अधिकार आ जाति, भाषा तथा भौगोलिक क्षेत्रके आधारमे स्वशासन स्थापना, भाषिक समानता आ स्वतन्त्रताके अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, निजामती सेवा तथा रोजगारके अन्य अवसरनमे विशेष आरक्षणके व्यवस्था, मातृभाषामे शिक्षाके व्यवस्था, क्षेत्रीय विभेदके अन्त्य करेखातिर क्षेत्रीय समानता, लोपोन्मुख भा अतिसीमान्तकृत जनजातिके संरक्षण, नेपाली भाषाके सरकारी कामकाजके अभिलेखन राखेके अन्तरिम संविधानद्धारा प्रदान कइल विशेषाधिकारके अन्त्य करके भाषिक समानताके नीति लागू, जल, जमिन आ जङ्गललगायत अन्य प्राकृतिक श्रोत सम्पदाउपर परम्परागत अधिकारके पुनःस्थापना, मधेसीके मुद्दाप्रति प्रतिवद्ध नाहोखेवालन पार्टी भा नेताके भण्डाफोर जइसन काम करके मधेसमे विकास कइलजा सकता ।

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