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बेटीक भाग्य विधान

20150609_BinitThakur_Poem


बीसम बसन्त जाहि घर बीतल सेहो घर भेल आब आन
किया विधना फेरि(फेरि कऽ लिखे बेटीक भाग्य विधान

के आब भोरक भुरुकबामे उठि कऽ चुनत बागक फूल
एतबो नै कोना सोचलन्हि बाबा कोना पठाबथि दोसर कूल
के बाबा संग पूजालग बैसतै के देतै अरिपन दलान

अंगना में सजाओल मण्डप देखि कऽ मायक बहै नोर
कोना धीरज बान्हु हो रामा देखि कऽ भैयाक मलिन ठोर
बाबा घरसँ कानि कानि कहथि कतऽ गेली बेटी हमर चान

छुटल गामक सखी रे बहिनपा कि छुटल सकल समाज
केहन बेदर्दी भेलहुँ यौ बाबा अहाँ बिनु रहब कोना दूर राज
एक नजर हमरो पर रखबै यौ बाबा छी नहि हमहूँ आन


विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा

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